एक संक्षिप्त विवरण
हमें
यह नहीं भूलना चाहिए कि इस दुर्गम इलाके में सड़कें केवल सीमेंट व कंक्रीट से ही नही
बल्कि भारत के सीमा सड़क संगठन के लोगों के खून से भी बनी है । बहुत से लोगों ने काम
के दौरान अपनी जान गवांई है । खतरों से खेलने वाले व मौत पर हंसने वाले इन लोगों के
लिए कर्त्तव्य सबसे पहले है । अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए तथा पड़ोसियों की खुशहाली
की कामना करने वाले यह नायक भारत माता के हर हिस्से से आए हैं ।
जुलाई 1975 में ’द मिरर’पत्रिका में प्रकाशित एक लेख ’हाईबेज टू एडबेंचर’से
परंपरा
आजादी के बाद के शुरूआती वर्षों में भारत के सामने 15000 किमी लंबी सीमा रेखा की सुरक्षा तथा अपर्याप्त सड़क साधन वाले उत्तर व उत्तर पूर्व के आर्थिक रूप से पिछड़े सुदूरवर्ती इलाके को भविष्य में उन्नत व विकसित करने का भार था ।